क्यों जरूरी है सैलरी से सेविंग?
सेविंग सिर्फ पैसे बचाना नहीं, बल्कि भविष्य को सुरक्षित बनाना है। स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक, भारत में 70% लोग इमरजेंसी के लिए तैयार नहीं होते, जिससे लोन लेना पड़ता है। सैलरी से सेविंग कैसे करें जानकर आप डेब्ट-फ्री लाइफ जी सकते हैं। आइए, स्टेप बाय स्टेप देखें।
1. बजट प्लानिंग से शुरू करें: सैलरी का हिसाब रखें
सैलरी से सेविंग का पहला कदम है बजट बनाना। हर महीने की शुरुआत में अपनी इनकम और एक्सपेंस लिस्ट करें। ऐप्स जैसे Money Manager या Excel शीट यूज करें।
- इनकम ट्रैक करें: सैलरी, बोनस सब नोट करें।
- एक्सपेंस कैटेगरी बनाएं: किराया, खाना, ट्रांसपोर्ट, एंटरटेनमेंट।
- टिप: 10% सैलरी को पहले ही सेविंग में डाल दें (Pay Yourself First रूल)।
उदाहरण: अगर आपकी सैलरी 50,000 रुपये है, तो कम से कम 5,000 रुपये सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर करें। इससे सेविंग कैसे करें आसान हो जाता है।
2. 50/30/20 रूल अपनाएं: सही तरीके से खर्च बांटें
यह इंटरनेशनल रूल है जो सैलरी से सेविंग कैसे करें को सिंपल बनाता है:
- 50% जरूरी खर्चों पर: किराया, बिल्स, ग्रॉसरी।
- 30% चाहतों पर: शॉपिंग, डाइनिंग आउट।
- 20% सेविंग और निवेश पर: FD, म्यूचुअल फंड्स।
| कैटेगरी | प्रतिशत | उदाहरण (50,000 सैलरी) |
|---|---|---|
| जरूरी खर्च | 50% | 25,000 रुपये |
| चाहतें | 30% | 15,000 रुपये |
| सेविंग | 20% | 10,000 रुपये |
इस रूल से आप बिना स्ट्रेस के सेविंग का सही तरीका फॉलो कर पाएंगे।
3. इमरजेंसी फंड बनाएं: अनएक्सपेक्टेड के लिए तैयार रहें
सैलरी से सेविंग कैसे करें में इमरजेंसी फंड सबसे महत्वपूर्ण है। 3-6 महीने की सैलरी के बराबर पैसा अलग रखें। लिक्विड फंड या सेविंग अकाउंट में रखें, जहां आसानी से निकाल सकें।
- कैसे शुरू करें? हर महीने 5-10% सैलरी ऐड करें।
- बेनिफिट: जॉब लॉस या मेडिकल इमरजेंसी में टेंशन फ्री।
4. अनावश्यक खर्च कम करें: छोटे बदलाव, बड़ा असर
कॉफी शॉप्स, सब्सक्रिप्शन्स चेक करें। सेविंग कैसे बढ़ाएं के लिए:
- घर पर कॉफी बनाएं (बचत: 500-1000 रुपये/महीना)।
- सेकंड-हैंड शॉपिंग करें।
- ट्रैकिंग ऐप यूज करें जो अलर्ट दे।
याद रखें, छोटे-छोटे कटौती से सालाना 50,000+ रुपये बच सकते हैं!
5. निवेश शुरू करें: सेविंग को बढ़ाएं
सिर्फ बचाना काफी नहीं, सैलरी से सेविंग का सही तरीका निवेश है। SIP से शुरू करें:
- म्यूचुअल फंड्स: 5,000 रुपये/महीना से।
- PPF या EPF: टैक्स बेनिफिट के साथ।
- टिप: फाइनेंशियल एडवाइजर से कंसल्ट करें।
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