अपनी फाइनेंशियल स्थिति को समझें
सबसे पहले, अपनी मौजूदा स्थिति का आकलन करें। अपनी मासिक आय, खर्च और डेब्ट को लिस्ट करें। एक महीने तक हर छोटे-बड़े खर्च को ट्रैक करें – जैसे किराया, ग्रॉसरी, ट्रांसपोर्ट और एंटरटेनमेंट। इससे आपको पता चलेगा कि पैसा कहां जा रहा है। कई फ्री ऐप्स जैसे Mint या Excel शीट्स का इस्तेमाल करें। लो सैलरी बजटिंग की शुरुआत इसी से होती है।
रियलिस्टिक बजट बनाएं
बजट बनाना फाइनेंशियल प्लान का आधार है। 50/30/20 रूल अपनाएं: 50% जरूरी खर्चों पर, 30% चाहतों पर और 20% बचत या डेब्ट पेमेंट पर। अगर सैलरी कम है, तो जरूरी खर्चों को 60-70% तक सीमित रखें। मासिक इनकम को समय के अनुसार डिवाइड करें – अगर सैलरी अनियमित है, तो सबसे कम इनकम को आधार बनाएं। इससे आप ओवरस्पेंडिंग से बचेंगे।
अनावश्यक खर्च कम करें
कम सैलरी में बचत के लिए कटौती जरूरी है। कॉफी शॉप की बजाय घर पर बनाएं, सब्सक्रिप्शन रद्द करें और सेकंड-हैंड सामान खरीदें। हर महीने 10-20% खर्च कम करने का लक्ष्य रखें। उदाहरण के लिए, पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करें या मील प्रीप करें। छोटे बदलाव बड़े रिजल्ट देते हैं!
इनकम बढ़ाने के तरीके अपनाएं
सिर्फ खर्च कम करना काफी नहीं; इनकम बढ़ाएं। पार्ट-टाइम जॉब, फ्रीलांसिंग या स्किल्स सीखें जैसे ऑनलाइन ट्यूशन या कंटेंट राइटिंग। अगर जॉब में प्रमोशन का स्कोप है, तो उस पर फोकस करें। कम सैलरी वाले लोग अक्सर साइड हसल से 20-30% एक्स्ट्रा कमाते हैं।
बचत और इमरजेंसी फंड बनाएं
बचत की आदत डालें – हर महीने 10% सैलरी बचाएं, चाहे छोटी रकम हो। हाई-यील्ड सेविंग अकाउंट चुनें जहां इंटरेस्ट ज्यादा मिले। इमरजेंसी फंड बनाएं जो 3-6 महीनों के खर्च के बराबर हो। शुरू में छोटे से शुरू करें, जैसे 500 रुपये महीना। कम्युनिटी रिसोर्सेज या गवर्नमेंट स्कीम्स जैसे PMJJBY का फायदा उठाएं।
डेब्ट को मैनेज करें
अगर लोन या क्रेडिट कार्ड डेब्ट है, तो उसे प्राथमिकता दें। हाई-इंटरेस्ट डेब्ट पहले क्लियर करें। डेब्ट कंसॉलिडेशन या नेगोशिएशन ट्राई करें। इससे आपका फाइनेंशियल प्लान मजबूत बनेगा और स्ट्रेस कम होगा।
निवेश की शुरुआत करें
कम सैलरी में भी निवेश संभव है। SIP से शुरू करें – म्यूचुअल फंड्स या स्टॉक्स में छोटी रकम लगाएं। एंप्लॉयर रिटायरमेंट प्लान्स जैसे EPF का फायदा उठाएं। टैक्स बेनिफिट्स वाली स्कीम्स चुनें। धीरे-धीरे निवेश बढ़ाएं; कंपाउंडिंग मैजिक करेगी!
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